TOTE KI BOL ACHHA BHI BURA BHI - तोते की बोल अच्छा भी बुरा भी

TOTE KI BOL ACHHA BHI BURA BHI - तोते की बोल अच्छा भी बुरा भी


एकबार गर्मी की छुट्टी में रोहित और रानी उनके दादाजी से मिलने अपने गांव गए। रोहित और रानी जन्म से ही शहर में रहते थे। उनके दादाजी ही उनसे मिलने कभी- कभी शहर आ जाया करते थे, लेकिन इसबार उन्होंने अपने पिताजी को मनाया और गांव ले आये। गांव पहुंचकर उन्होंने अपने दादाजी से गांव घूमने की इच्छा जाहिर की। दादाजी ने उन्हें अगली सुबह गांव घुमाने की बात कही। 

अगली सुबह वह लोग गांव के लिए निकले। गांव में खुले खेत - मैदान देखकर रोहित ने कहा - वाह ! दादाजी यहाँ तो बहुत बड़े- बड़े मैदान है। हम यहाँ अच्छे से क्रिकेट खेलेंगे। वहां शहरो में तो हमें गलियों में क्रिकेट खेलना पड़ता है। 
उन्होंने आगे झरने, नदी, पेड़ो के बगीचे और मिट्टी के घरो पर बने सुन्दर कला-कृतियों तथा चित्रो को देखा और उनकी प्रसंशा की। 

कुछ दूर आगे जाने के बाद उन्होंने गांव के बिच एक छोटा सा बाजार को देखा जहाँ सभी शाक - सब्जी इत्यादि वस्तुएँ बेच रहे थे। वहां रानी की नजर एक दुकान की तरफ गयी जहाँ एक पिंजरे में एक तोता बंद था जो चिल्ला कर कुछ कह रहा था। रानी ने कहा - दादाजी वहाँ चलिए। वे लोग तोते के सामने जैसे गए वह तोता कहने लगा - कौन है बे ते लोग ? का चाहिए?
 रोहित और रानी हंसने लगे और कहने लगे यह तोता किस तरह की भाषा बोल रहा है? उन्होंने तोते से कहा - कुछ नहीं चाहिए तोते महाराज, हम आपसे मिलने आये है। 
तोता कहने लगा - अबे सालों भागों यहाँ से, माथा खराप मत कर।


उनके दादाजी ने कहा - चलो में तुम्हे एक और जगह ले जाता हूँ। वहाँ तुम्हें आनंद आएगा। 
वे लोग पेड़ो से घिरे एक आश्रम पहुंचे, वहां सुन्दर - सुन्दर फूल  एवं कई तरह के पक्षी थे। जैसे ही वह आश्रम में प्रवेश  करने लगे, एक पेड़ पर बैठा तोते ने कहा - पधारिये महाशय ! आपका हमारे कुटिया में स्वागत है। हमारे बगीचे से मीठे- मीठे फल खाइये। ऋषि महाराज आपसे मिलकर बहुत प्रसन्न होंगे।
रोहित और रानी आश्चर्य में थे की यह तोता कितनी अच्छे ढंग से कह रहा है। वे लोग ऋषि से मिले और घर वापस जाने लगे।
रास्ते में उन्होंने दादाजी से पूछा ? दादाजी! पहला तोता किस प्रकार अभद्रता से बोल रहा था और दूसरा तोता कितनी अच्छे तरह से, ऐसा क्यों ?
दादाजी ने कहा - देखो बच्चों! पहला तोता तुमने जिसे बाजार में देखा, वह एक बदमाश आदमी के घर में है। वह उसके संगत में रहकर वैसा हो गया है और उसी की बोली बोलने लगा है और दूसरा तोता एक ऋषि के आश्रम में रह रहा है, जिससे वह मीठी और अच्छी बाते बोलना सिख गया है। 
बच्चों, तुम भी अपने जीवन में उनलोगों के साथ रहना जिनका स्वभाव अच्छा हो, जो अच्छे कर्म करते हो। 

शिक्षा : दोस्तों , इस कहानी के माध्यम से हम आपको यह समझाना चाहते है की आप अपने संगत का ध्यान अवश्य रखे। क्योंकि आप जिस तरह के संगत में रहते है, उसका प्रभाव आज नहीं तो कल आपके जीवन पर जरूर पड़ेगा ,आपका परिवेश भी उस हिसाब से अच्छा -बुरा होगा एवं उसका फल भविष्य  में  प्राप्त होगा। 

TOTE KI BOL ACHHA BHI BURA BHI - तोते की बोल अच्छा भी बुरा भी 


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