रामायण की एक कथा - जब मेघनाथ को पता चल चूका था रावण और उसका अंत
मेघनाथ ने जब छल करके लक्ष्मण पर "शक्ति बरछी" से प्रहार किया, तब लक्ष्मण घायल होकर वहीं गिर गया। और जब मेघनाथ ने लक्ष्मण को उठाकर लंका ले जाने की कोशिश की तब वह उसे उठा नहीं पाया। तभी हनुमान जी वहाँ आये और लक्ष्मण को राम के समक्ष ले गए। राम रोने लगे की माता सुमित्रा को क्या जवाब देंगे। राम ने वादा किया था की वह बनवास से लक्ष्मण को साथ लेकर लौटेंगे। अगर लक्ष्मण को कुछ हो गया तो राम भी जीवित नहीं रहेंगे। तब विभीषण ने कहा की लक्ष्मण का उपचार लंका के वैद्य कर सकते है। तब हनुमान जी ने लंका के वैद्य को उठा लाये। वैद्य ने कहा इनका इनका जीवन बचाने के लिए हिमालय जाना होगा वहाँ कैलाश और ऋषभ पर्वत के बिच दैवीय औषिधीय का एक पर्वत है। वहाँ संजीवनी बूटी मिलेगी, जिसकी पहचान है उसका प्रकाशमान होना उस बूटी से एक दिव्य ज्योति निकल रही होगी। परंतु उसे सूर्योदय से पहले लाना होगा। और लंका से हिमालय एक दिन में लोट के आना असंभव है। तभी हनुमान जी ने कहा असंभव को संभव बनाना मेरा काम है। श्री राम से हनुमान जी ने कहा - प्रभु ! आज्ञा दे में संजीवनी लेकर आऊंगा और अगर न ला सका तो फिर आपके सामने में य