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Showing posts from March, 2020

रामायण की एक कथा - जब मेघनाथ को पता चल चूका था रावण और उसका अंत

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मेघनाथ ने जब छल करके लक्ष्मण पर "शक्ति बरछी" से प्रहार किया, तब लक्ष्मण घायल होकर वहीं गिर गया। और जब मेघनाथ ने लक्ष्मण को उठाकर लंका ले जाने की कोशिश की तब वह उसे उठा नहीं पाया। तभी हनुमान जी वहाँ आये और लक्ष्मण को राम के समक्ष ले गए। राम रोने लगे की माता सुमित्रा को क्या जवाब देंगे। राम ने वादा किया था की वह बनवास से लक्ष्मण को साथ लेकर लौटेंगे। अगर लक्ष्मण को कुछ हो गया तो राम भी जीवित नहीं रहेंगे। तब विभीषण ने कहा की लक्ष्मण का उपचार लंका के वैद्य कर सकते है। तब हनुमान जी ने लंका के वैद्य को उठा लाये। वैद्य ने कहा इनका इनका जीवन बचाने के लिए हिमालय जाना होगा वहाँ कैलाश और ऋषभ पर्वत के बिच दैवीय औषिधीय का एक पर्वत है। वहाँ संजीवनी बूटी मिलेगी, जिसकी पहचान है उसका प्रकाशमान होना उस बूटी से एक दिव्य ज्योति निकल रही होगी। परंतु उसे सूर्योदय से पहले लाना होगा। और लंका से हिमालय एक दिन में लोट के आना असंभव है। तभी हनुमान जी ने कहा असंभव को संभव बनाना मेरा काम है। श्री राम से हनुमान जी ने कहा - प्रभु ! आज्ञा दे में संजीवनी लेकर आऊंगा और अगर न ला सका तो फिर आपके सामने में य

समस्या का समाधान करने वाले विचार हिंदी में - PROBLEM SOLVING QUOTE

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समस्या का समाधान करने वाले विचार हिंदी में - PROBLEM SOLVING QUOTE धैर्य और सहनशीलता इंसान को शक्तिशाली बनाता है और यह ताकत समस्याओं का सामना करके मिलती है।  शांत दिमाग हर समस्या का समाधान निकाल सकता है इसलिए अपने आप को शांत रखने के लिए लगातार प्रयास करे।  समस्याओं के वक्त धैर्य और शांति रखने का आसान तरीका है जो हो रहा है उसे होने दे उस पल का गुजरने का प्रतीक्षा करें या फिर उसे बर्दाश्त करे, नहीं तो कहीं बाहर चले जाये कुछ वक्त के लिए। 

PREM KYA HAI - CHANAKYA

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प्रेम क्या है ? चाणक्य  जब चाणक्य को यह सुचना मिली की चंद्रगुप्त धनानंद की पुत्री दुर्धरा से प्रेम करने लगा है और वह अपना लक्ष्य को भूलकर प्रेमपाश में बंध रहा है। तब चाणक्य को चिंता होने लगी की अगर चन्द्रगुप्त ज्यादा प्रेम की गहराई में चला गया तो उसे वापस निकलना मुश्किल हो जायेगा। वह अपने लक्ष्य से भटक जायेगा। इसलिए चाणक्य ने योजना बनाकर दोनों को अलग किया। उसके बाद से चन्द्रगुप्त हर समय सिर्फ दुर्धरा के ख्यालों  में डूबा रहने लगा था। उसकी यह अवस्था देखकर चाणक्य ने उसे बुलाया और कहा चन्द्रगुप्त तुम बड़े हो गए हो। आज तुम मुझे अपना गुरु नहीं, अपना मित्र समझ कर, तुम्हारे मन में जो चल रहा है , वह सब मेरे सामने रखो तुम्हारे मन में जो पीड़ा चल रही है में उन सबका समाधान दूंगा। तब चन्द्रगुप्त ने आचार्य चाणक्य से पूछा - आचार्य! क्या प्रेम करना कोई बुरी बात है क्या स्त्री और पुरुष का मिलन अपराध है  ?  चाणक्य - बिल्कुल नहीं, एक साधारण व्यक्ति, व्यपारी और किसान के लिए प्रेम एक साधारण सी बात है, लेकिन जो व्यक्ति अखंड भारत का सम्राट बनने का महान लक्ष्य लेकर चल रहा हो। उसके लिए यह प्रेम, प्रेम