KHADA HIMALAY BATA RAHA HAI - खड़ा हिमालय बता रहा है

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KHADA HIMALAY BATA RAHA HAI - खड़ा हिमालय बता रहा है

KHADA HIMALAY BATA RAHA HAI - 

खड़ा हिमालय बता रहा है 
                                      - सोहन लाल द्विवेदी 


खड़ा हिमालय बता रहा है,
डरो न आंधी पानी में। 
खड़े रहो तुम अविचल होकर,
सब संकट तूफानी में। 

डिगो न अपने प्रण से तो तुम,
सब कुछ पा सकते हो प्यारे। 
तुम भी ऊँचे उठ सकते हो,
छू सकते हो नभ के तारे। 

अटल रहा जो अपने पथ पर,
लाख मुसीबत आने में। 
मिली सफलता जग में उसको,
जीने में मर जाने में। 

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