Panchatantra ki ek Darpok khargosh ki kahani
पंचतंत्र की एक डरपोक खरगोश की कहानी एकबार एक खरगोश एक पेड़ के नीचे आराम कर रहा था। तभी एक ' धम ' सी जोरदार आवाज आया। खरगोश डरकर अचानक से उठा और वह अपनी चारो तरफ देखा। उसे कुछ दिखाई नहीं दिया। वह सोचा ऐसा भयानक आवाज किस चीज की हो सकती है, कहीं प्रलय तो नहीं आने वाली है। हो सकता है, तेज भूकंप आने वाली है, इससे पहले की धरती फटे यहाँ से भाग चलते है। इतना सोचते ही वह तेजी से भागने लगा। जब वह भाग रहा था तब उसे एक गधे ने भागते देखा , उसे रोककर पूछा - क्यों भाई इतने तेजी से कहाँ जा रहे हो? खरगोश ने कहा - आओ मेरे साथ ! तुम भी भागों, धरती फटने वाली है, गधा यह सुनकर उसके साथ भागने लगा। कुछ दूर जाने के बाद आगे एक हिरण खड़ी थी। हिरण ने पूछा - अरे ! तुम दोनों इतनी तेजी से कहां भागे जा रहे हो? गधे ने जवाब दिया - तुम भी जल्दी से हमारे साथ भागों, धरती फटने वाली है। यह सुन हिरण भी डर गयी और उनके साथ भागने लगी। थोड़ा दूर बाद उन्हें एक लोमड़ी मिला। लोमड़ी ने पूछा - अरे ! तुम सब इतने तेजी से किधर भागे जा रहे हो? हिरण ने कहा - लोमड़ी भाई ! आप भी हमारे साथ भागों, प्रलय होने वाली है। कुछ ही देर में