स्वयं लड़ना ही होगा
है स्वयं की कोई बाधा तो स्वयं लड़ना ही होगा राह दुर्गम हो भले ही राह पर चलना ही होगा रख के हिम्मत तू निकल चल ठोकरें खा, गिर, संभल, चल पीर होता है तो होय, हंसते मुस्काता चला चल अस्ताचल सूरज को आखिर ,फिर सुबह उगना ही होगा मन में उठते प्रश्न हैं तो ,उत्तरों की खोज कर तू सच भुवन में न मिलेगा, बन के गौतम वन विचर तू लोक में उपहास होगा, सिरफिरा भी कुछ कहेंगे राह के रोड़े भी तुमको 'पग को रोको' ही कहेंगे मानना ना हार ,काँटों से भी हो ज़्यादा प्रखर तुम बोध पाना है अगर तो ,बुद्ध तो बनना ही होगा सत्य है, संघर्ष ही तो उच्च आसन पर बिठाता है स्वर्ण तपकर ताप में ही मोल अपना जान पाता है नहीं आसान बिन तप ,साधना के जय कभी जय उसी की है स्वयं में जो स्वयं को जान पाता है आँकना है खुद को तो, खुद को हमें पढ़ना ही होगा स्वयं लड़ना ही होगा - SAYWAM LADNA HI HOGA