I CAN I WILL में सकूँगा , में करूँगा कभी हार नहीं मानूँगा
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Showing posts from August, 2019
TOTE KI BANDHAN
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TOTE KI BANDHAN(तोते की बंधन ) एकबार की बात है , एक गांव में एक व्यापारी रहता था। उसके पास एक तोता था जो एक पिंजरे में बंद था। व्यापारी के घर मे हर महीने पूजा होता था और जो पंडित जी पूजा करने आता था, वह उस तोते से बहुत परेशान रहता था। पंडित जी जब भी कथा के अंत में यह कहता की " हरी का नाम लो तो बंधन छूटे " तो तोता उस समय कहता पंडित जी झूठे है। इस तरह पंडित जी हर बार पूजा करने आता और तोता उन्हें झूठा कहता। तंग आकर एक दिन पंडित जी अपने गुरु के पास गया और कहा गुरूजी में एक व्यापारी के घर पूजा करने जाता हूँ, वहां एक तोता है जो मेरा अपमान करते रहता है, में जब भी कहता हूँ " हरी नाम लो तो बंधन छूटे " वह तोता मुझे झूठा कहने लगता है। गुरूजी ने कहा - उस तोते के पास ले चलो मुझे। गीता पढ़ रहे एक आदमी की सच्ची घटना वह दोनों तोते के पास पंहुचे और उस तोते से गुरूजी ने पूछा क्यों तोते महाराज तुम्हे ये पंडित झूठा क्यों लगता है? तोता अपनी कहानी बताने लगा। तोते ने कहा - गुरूजी में एकबार उड़ता-उड़ता एक आश्रम के पास पंहुचा और एक पेड़ पर जाकर बैठ गया। वहां उसी पेड़ के निचे
ADHURA GYAN KHATARNAK HOTA HAI
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ADHURA GYAN KHATARNAK HOTA HAI प्राचीन काल की बात है, एक गाँव में 3 मित्र रहते थे। एक का नाम मोहन दूसरे का नाम गोपाल और तीसरे का नाम रघु था। उनमे से रघु थोड़ा मुर्ख था, इसलिए गोपाल और मोहन उसका हमेशा मजाक उड़ाते थे। लेकिन वो लोग साथ पले बढ़े थे इसलिए साथ-साथ ही रहा करते थे। एक दिन वो तीनो लकड़ियां लाने जंगल जा रहे थे। वे लोग लकड़ियां बटोर रहे थे। तभी उन्हें एक आवाज़ सुनाई पड़ी और वो आवाज़ का पीछा करते करते एक जगह पहुचे जहां उन्होने एक साधु को किसी घायल मोर को मंत्र शक्ति से पल भर मे ठीक करते हुए देखा। वो लोग आश्चर्यचकित रह गए ये सब देखकर। वे लोग आपस में बात करने लगे चलो साधु जी से ये मंत्र विद्या सीखते है। वे लोग साधु के पास गए और उन्होंने कहा गुरूजी आपने अभी जो किया, हमलोगो वह सब देख रहे थे। हमें भी यह विद्या सीखा दीजिये। हमें अपना शिष्य बना लीजिये। साधु ने कहा - नहीं में तुम्हें ये नहीं सीखा सकता, तुम्हे इसकी आवशयकता नहीं हैं। और न ही ये मंत्र सभी लोगो के लिए है इसे हर कोई सिख नहीं सकता। तीनो मित्र ज़िद करने लगे पर फिर भी गुरूजी नहीं माने। अंत में वह तीनो दुखी मन से वहां