BHUT AUR SAHASHI INSAN - भुत और साहसी इंसान

BHUT AUR SAHASHI INSAN - भुत और साहसी इंसान

एकबार एक आदमी का व्यापार में बहुत घाटा हो गया था। वह आदमी अकेला था, उसका इस दुनियाँ में कोई नहीं था। उसके माँ- बाप बचपन में गुजर गए थे, जब वह मात्र १० साल का था। तभी वह अपना गांव छोड़ शहर आ गया था। मेहनत-मजदूरी कर वह बड़ा हुआ और अपना व्यवसाय खड़ा किया। लेकिन जब उसका व्यापार में घाटा हो गया तो वह शहर से अपने गांव वापस जाकर वहीं बसने की योजना बनाई।


जब वह गांव आया तो सभी गांव वाले उसके पास आये और उसका हाल समाचार पूछा। उसके बाद उससे कहा की बेटे तुम रहोगे कहाँ ? तुम्हारा घर तो टूट-फुट गया है और उसमें एक भयानक भूत रहने लगा है। वह उस घर में जाने वालो पर हमला कर देता है। उस आदमी ने कहा आप सब चिंता न करे, मेरे जाते ही सभी भूत-प्रेत भाग जायेंगे। वह आदमी अपने घर गया और उसकी साफ-सफाई की और रहने की व्यवस्था की। 

रात हुई, वह खा-पीकर सो गया। अचानक आधी रात को उसे डरावनी आवाज सुनाई दी, जो उसे कह रह था यहाँ से चले जाओ वरना तुम्हारी खैर नहीं। वह आदमी उठा और कहा - तुम कौन हो ? 
भुत - पहले तुम बताओ, तुम कौन हो ? और यहां क्या कर रहे हो?
आदमी -  में इस का घर का मालिक हूँ। बचपन में यह घर छोड़ कर चला गया था, अब वापस आया हूँ।
भूत - तुमने आने मे देर करदी, अब यह घर मेरा है, में यहां रहता हूँ, चुप-चाप से यह घर छोड़ दो वरना में तुम्हें मार डालूंगा। 
आदमी - ठीक है ! में यहां से चला जाऊँगा, बस आज रात यहीं रुकने दो मुझे। इतनी रात को कहाँ जाऊँगा ? सुबह होते ही निकल जाऊँगा यहाँ से। 
भूत - ठीक है !


अगले दिन, वह आदमी सुबह काम की तलाश मे बाहर निकला। गांव वालो ने पूछा की क्या तुम्हे वहां भुत नहीं दिखा। उस आदमी ने कहा- भुत तो है वहां लेकिन में नहीं भागूँगा, में उसे भगाऊँगा। वह रात को घर जाकर फिर खा-पीकर सो गया। 

आधी रात को फिर से उसे वह डरावनी आवाज सुनाई दी। 
भूत - तुम यहाँ से गए क्यों नहीं ? रुको, आज में तुम्हारा काम तमाम करता हूँ। 
आदमी - मेरा बाहर इंतजाम कुछ नहीं हुआ, आज की अवकाश (मोहलत) देदो, कल चला जाऊँगा। 
भूत ठीक है कहकर चला गया। 

अगले दिन वह फिर से नहीं गया, इसतरह करके 4 दिन तक वह बहाने बनाता गया। 
5वें दिन भूत गुस्से मे आकर कहा - अब में तुम्हारी एक भी बात नहीं सुनूँगा। आज में तुम्हें खत्म कर देता हूँ। 
आदमी - नहीं रुको! तुम मेरी सिर्फ एक प्रश्न का जवाब दो, में अभी चला जाऊँगा।
भूत - कैसा प्रश्न पूछो?
आदमी - में कितने दिन जिवित रहूँगा यह बताओ? 
भूत - में कैसे बता सकता हूँ। में भगवान थोड़ी हूँ।
आदमी - तुम तो आत्मा हो न, कहीं भी आ जा सकते हो, तो ब्रह्माजी के पास जाओ और पता करके आओ। उसके बाद में चला जाऊँगा।
भूत - ठीक है ! कहकर चला गया और कुछ देर में वापस आया। 
आदमी - बताओ, क्या कहा ब्रह्माजी ने ?
भूत - ब्रह्माजी ने कहा, तुम 90 साल जियोगे। 
आदमी - तुमने ठीक से सुना तो ?
भुत - हाँ भाई! बिल्कुल अच्छे से सुना। 
आदमी - क्या ब्रह्मा जी ने जो कह दिया उसे कोई टाल नहीं सकता है ?
भुत - हाँ ब्रह्माजी के बात कोई नहीं टाल सकता, अब निकलो यहाँ से। 


वह आदमी अच्छा! कहकर सोने जाने लगा। 
भूत - अरे तुमने तो कहा तुम चले जाओगे और तुम सो  रहे हो? 
आदमी ने कहा - अरे मुर्ख जब ब्रह्मा जी ने स्वयं कह दिया मे 90 साल जियूँगा और उनके बात को कोई टाल नही सकता तो अब तुम मेरा क्या करलोगे ? 

भूत(गुस्से में ) - में ब्रह्माजी के पास नहीं गया क्योंकि में कोई आत्मा-वात्मा नहीं हूँ। में एक चोर हूँ, जो इस घर में काफी सालों से रह रहा हूँ। में आस - पड़ोस के गावों से चोरी करके आता हूँ और इस घर में रहता हूँ। कोई भी भुत के डर से इस घर में नहीं आता है लेकिन तुमने आकर मेरा आतंक खत्म कर दिया। अब तुम्हें में नहीं छोडूंगा। वह उस आदमी से लड़ने लगता है। वह आदमी उसे डंडे से पीटकर, उसे रस्सी से बांध देता है। 
सुबह उस चोर गांव वालों को दिखाता है और कहता है यह रहा आपका भूत और उस चोर से कहता है। में तो पहले दिन से समझ गया था की तुम कोई चोर हो क्योंकि सफाई के वक्त मुझे तुम्हारे चुराए गए कुछ समान मिले थे। भला इस सुनसान घर मे समान कहा से आता। में तुम्हारा असलियत जानने के लिए ही दूसरे दिन मेने किसी को कुछ नहीं बताया।

शिक्षा : दोस्तों हमारे आस पास कई ऐसी अफवाहे या घटनाएं होती है जिसे हम बिना जांचे-परखे सच मान लेते है। जो आगे चलकर आतंक का कारन बन जाता है। इसलिए बिना डरे थोड़ा हिम्मत करके घटनाओं की जाँच करे ताकि कोई अन्धविश्वास न फैले। 

दोस्तों , में यहाँ किसी प्रकार के अन्धविश्वास को सत्य या मिथ्या प्रमाणित नहीं कर रहा हूँ। बस आप सभी को हर घटना की जाँच-परख करने की सलाह दे रहा हूँ। 

BHUT AUR SAHASHI INSAN - भुत और साहसी इंसान


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