HOLI KI KAHANI (HIRNAY KASHYAP PRAHALD AUR HOLIKA) - होली की कहानी ( हिरण्य कश्यप प्रह्लाद और होलिका )

HOLI KI KAHANI (HIRNAY KASHYAP PRAHALD AUR HOLIKA) - होली की कहानी ( हिरण्य कश्यप प्रह्लाद और होलिका )


होली की कहानी ( हिरण्य कश्यप, प्रह्लाद और होलिका ) 

दोस्तो, आज हम आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहे है जिसमें हम आज जानेंगे की हमलोग होली क्यों मनाते हैं? होली की शुरुआत कैसे हुई ? एवं कुछ कड़वी बातें जो आज के युवा होली के नाम पर करते है। 

तो  शुरू करते है। 
एकबार एक दैत्य राजा जिसका नाम हिरण्य कश्यप था, वह अपने पुत्र प्रह्लाद को मारना चाहता था क्योंकि उसका पुत्र भगवान श्री हरि का भक्त था। उसने प्रह्लाद को हर तरह से मारने की कोशिश की। उसे समुद्र मे फैंक दिया, खोलते हुऐ गर्म तेल मे डाल दिया। यहाँ तक की उसे विष देकर भी मारने की कोशिश किया लेकिन वह असफल रहा क्योंकि भगवान श्री हरि उन्हें हर बार बचा लेते थे। 
अंत मे उसने अपनी बहन होलिका को बुलाया जिसे अग्नि देव से वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि जला नहीं सकती। वह भक्त प्रहलाद को लेकर अग्नि मे बैठ गयी लेकिन थोड़ी देर बाद वह स्वयं जलने लगी और वह चीख - चीख कर कहने लगी "छल हुआ है मेरे साथ।"

तभी अग्नि देव प्रकट हुए और बोले - वरदान लोगो के भलाई के लिए होते है न की उसे जलाने के लिए। इस तरह होलिका जलकर भस्म हो गयी और भक्त प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ क्योंकि भगवान विष्णु ने उनकी फिर से रक्षा की। वहां पर मौजूद लोग होलिका के भष्म से खेलने लगे। और तभी से लोगों को यह मानना है कि उसी दिन से होली की शुरुवात हुई। 
बुराई का अंत करके सत्य की विजय हुई वरदान लोगों के अच्छाई के लिए होती है ना कि उसके दुरूपयोग के लिए। 

शिक्षा : दोस्तों आज की दुनिया मे भी ऐसा ही हो रहा है। लोग भूलते जा रहे है कि यह त्योहार किसलिए मनाए जाते है। होली के दिन अपनी बुराई को खत्म करने के बजाय और बुरे कर्म करते है। लोग बहुत ज्यादा शराब पी लेते है एवं  जिससे तिससे झगड़ते है। 
बेजान जानवरो पर बिना वजह रंग या अबीर डाल देते है जो उनके आंख मे पड़ जाते है। पता नहीं हमारे अधिकतर त्यौहार मे लोग अच्छे कर्म करने की बजाय बुरे कर्म ही क्यों करते है। लोगों तक हमे अपनी त्यौहार की सही जानकारी पहुंचानी है। 
हमारे ज्यादातर त्योहारों का प्रतीक अधर्म पर धर्म की विजय है। लेकिन लोग अब अधर्म की तरफ बढ़ रहे है।  चले छोटा सा प्रयास करते
है। हम सब अपने हर उत्सव को अच्छे से मनाते है।अपने परिवार और बच्चों को सही शिक्षा देते है। 

धन्यवाद,

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