एकबार एक गांव में दो दोस्त रहते थे। दोनों बहुत गरीब थे, जैस- तैसे करके वह अपने परिवार का गुजारा करते थे। वे लोग अपने घर की आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए शहर जाकर काम करने का फैसला किया। अगले दिन वह दोनों शहर गए और उन्हें एक कारखाने में काम मिला, वह वहीं काम करने लगे। उनलोगों का गांव शहर से ज्यादा दूर नहीं था इसलिए वह रोजाना काम करते और शाम को घर वापस आ जाते।
एकदिन काम ज्यादा होने के कारन काम करते - करते रात हो गयी थी। वह लोग जल्दी-जल्दी काम खत्म करके घर जाने लगे। दूसरे दोस्त को घर जल्दी पहुंचने के लिए एक छोटा रास्ता पता था। वे दोनों उसी छोटे रास्ते से जाने लगे लेकिन अंधरे के वजह से उन्हें सही से रास्ता समझ नहीं आ रहा था और तब अचानक वे लोग एक गड्ढे में गिर गए। उस गड्ढे मे पहले दोस्त को एक चमक दिखाई दी।
उसने दूसरे दोस्त से कहा - दोस्त, देखो उधर एक चमक नजर आ रही है। दोनों ने सामने जाकर देखा वहां एक हीरा है। वह लोग बहुत खुश हो गए।
पहले दोस्त ने कहा की हमलोग इसे बेचकर समान - समान पैसे ले लेंगे और अपनी गरीबी दूर कर लेंगे। दोनों गड्ढे से बाहर आये और घर की और जाने लगे। जो दूसरा दोस्त था, उसके मन में लालच आ गयी, वह अकेला ही इस हीरे को हड़पना चाहता था। इसलिए रास्ते में उसने पहले दोस्त से मारपीट करके उससे वह हीरा छिन लिया।
पहला दोस्त कुछ नहीं कर पाया क्योंकि वह उससे शारिरीक रूप से कमजोर था और दूसरा दोस्त हट्टा-कट्टा था। दूसरा दोस्त हीरा लेकर शहर चला गया। पहला दोस्त दुखी मन से घर वापस आ गया।
कुछ दिन बीतने के बाद जो दूसरा दोस्त था वह हीरा बेचकर अपने लिए बंगला, गाड़ी और जमीन खरीद लिया। फिर कुछ दिन बाद, दूसरे दोस्त के साथ रास्ते में एक दुर्घटना हो जाती है, जिसमें उसका एक पैर घायल हो जाता है। उसके पास पैसे बहुत थे, इसलिए वह शहर से बड़े - बड़े डॉक्टरों को बुलाकर खुद का इलाज करवाने लगा।
उसने 2-3 दिन बाद देखा उसका जख्म भरने के बजाय उल्टा बढ़ रहा था। डॉक्टरों ने बहुत महंगी -महंगी दवाइयाँ दी लेकिन उसका ज़ख्म और बढ़ गया था। डॉक्टरों ने कहा - उसका पैर काटना पड़ेगा नहीं तो जख्म पूरे शरीर तक पहुंच जाएगा। उसके पास कोई रास्ता नहीं था इसलिए हाँ कहनी पड़ी।
उसके पैर काटने के 7 दिन बाद उसका ज़ख्म बॉडी तक पहुंचने लगा, वहाँ मौजूद बड़े-बड़े डॉक्टर यह देखकर हैरान थे क्योंकि उन्होंने अपने जीवन में ऐसा समस्या कभी नहीं देखा था। उस आदमी ने अपने सारे पैसे लगा दिए लेकिन कोई असर नहीं हुआ।
उसके पड़ोस के महिलाओं को उसने खिड़की के बाहर कहते हुए सुना की " न जाने कोनसा घोर पाप किया है जो ऐसी सजा मिल रही है इसे "
वह उन महिलाओं के बातों से बैचेन हो गया। वह पूरी रात सोचता रहा की क्या दोष किया है उसने। तभी उसे हिरे वाली बात याद आयी। वह रात मे ही अपनी पत्नी को कहा, उसके दोस्त के पास ले चलो।
वह अपने दोस्त के पास गया और पूछा - दोस्त, उस रात के बाद तुमने ऐसा क्या श्राप दे दिया, जो मेरा यह हालत हो गया?
उसके दोस्त ने कहा - तुम्हारा यह हालत कैसे हुआ यह तो में नहीं जानता लेकिन मेने उस रात में अपनी हालत देखकर, ईश्वर से बस इतना कहा कि ईश्वर! मेने अपनी और अपने दोस्त की परिवार की खुशी चाही लेकिन मेरे दोस्त ने सिर्फ अपनी खुशी के बारे में सोची। उसने अपनी ताकत दिखाकर मुझसे वह हीरा छिन लिया और अब तुम अपनी ताकत दिखा कर इंसाफ कर दो।
शिक्षा : दोस्तों कभी भी किसी का हक छीने नहीं, किसी को कमजोर समझकर उसपर अत्याचार न करे, क्योंकि भले ही वह कमजोर हो लेकिन अगर उसने ईश्वर से सहायता मांगी और ईश्वर उसके साथ हो गए तो उसकी जित और बुरे कर्म करने वाले की हार निश्चित हो जाती है। जिस प्रकार महाभारत में दुर्योधन के साथ पूरी सेना, कर्ण, द्रोणाचार्य और अनेको बलशाली योद्धा थे और इधर अर्जुन के साथ सिर्फ उनके पाण्डव भाई और श्री कृष्ण खड़े थे. फिर भी जीत अर्जुन की हुई थीं क्योंकि उसके साथ स्वयं भगवान खड़े थे। इसलिए दोस्तों किसी का हक मारकर उसकी हाय न ले।
KISI KE HAQ MAARNE KA PHAL - किसी के हक मारने का फल
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