भय के आगे विजय है - Dar Ke Aage JEET hAI

भय के आगे विजय है | डर के आगे जीत है, victory is beyond fear


किसी की सफलता में रुकावट आना, उसका डर एक बड़ा कारण होता है। डर हमेशा सपनों का सबसे बड़ा हत्यारा होता है। हम अपने सपनों का पीछा करने से बचते हैं क्योंकि हमें रास्ते में आने वाली बाधाओं का भय होता है। किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले ही हम आत्म-संदेह और चिंता के एक चक्रव्यूह में फंस जाते हैं और हम सफलता की डगर पर कभी आगे बढ़ ही नहीं पाते हैं।

"मै बेहतर नहीं हूं या फिर अगर मैं विफल हो गया तो"

बहुत बड़ी संख्या में लोग किसी काम को करने का पहला प्रयास इसी डर की वजह से से नहीं कर पाते हैं।
हमें यह समझने की जरूरत है कि हर विफलता के साथ सीखने, बढ़ने और आगे बढ़ने का अवसर मिलता है। बेशक, किसी भी कार्य को करने के साथ हमेशा यह आशंका बनी रहती है कि उसमें असफल भी हो सकते हैं लेकिन इसकी वजह से कोई कार्य करना ही छोड़ दिया जाय यह तो सही नहीं है।

एक डरपोक इन्सान मार्शल आर्ट के शिक्षक के पास आया और उसे बहादुरी सिखाने के लिए कहा। गुरु ने उसकी ओर देखा और कहा:
मैं तुम्हें केवल एक शर्त के साथ सिखाऊंगा:- एक महीने के लिए तुम्हें एक बड़े शहर में रहना होगा और रास्ते में मिलने वाले हर व्यक्ति को बताना होगा कि 'तुम कायर हो।' तुम्हें इसे ज़ोर से, खुलकर और सीधे सामने वाले की आँखों में देखते हुए कहना होगा।

वह व्यक्ति बहुत दुखी हो गया, क्योंकि यह काम उसे बहुत डरावना लग रहा था। कुछ दिनों तक वह बहुत दुःखी और विचारशील रहा, लेकिन अपनी कायरता के साथ रहना इतना असहनीय हो गया कि उसने अपने मिशन को पूरा करने के लिए शहर की ओर कूच कर दिया।

सबसे पहले, राहगीरों से मिलते समय, वह काँपने लगा, उसकी वाणी बिगड़ गई और वह किसी से संपर्क नहीं कर सका। लेकिन उसे शिक्षक का काम पूरा करना था, इसलिए उसने खुद पर काबू पाना शुरू कर दिया। जब वह अपने पहले राहगीर के पास अपनी कायरता के बारे में बताने आया, तो उसे ऐसा लगा कि जैसे वह डर से मर जाएगा। लेकिन हर गुज़रते दिन के साथ उसकी आवाज़ तेज़ और अधिक आत्मविश्वासी लगती गई। अचानक एक क्षण आया, जब आदमी ने खुद को यह सोचते हुए पाया कि अब उसे डर नहीं लग रहा है और जितना आगे वह प्रशिक्षक का काम करता रहा, उतना ही अधिक उसे विश्वास होता गया कि डर उसका साथ छोड़ रहा है।
इस तरह एक महीना बीत गया। वह व्यक्ति शिक्षक के पास वापस आया, उन्हें प्रणाम किया और कहा: गुरुजी! मैंने आपका काम पूरा कर दिया। अब मुझे कोई डर नहीं है। परन्तु आपको कैसे पता चला कि यह अजीब काम मेरी मदद करेगा?
गुरुजी ने कहा : बात यह है, बच्चे, कायरता सिर्फ एक आदत है और जो चीजें हमें डराती हैं, उन्हें करके हम रूढ़िवादिता को नष्ट कर सकते हैं और उस निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं जिस पर आप पहुंचना चाहते हैं। अब तो आप जानते ही हैं कि बहादुरी भी एक आदत है और यदि आप बहादुरी को अपना हिस्सा बनाना चाहते हैं तो आपको डर की ओर आगे बढ़ना होगा। तब डर दूर हो जाएगा और उसका स्थान वीरता ले लेंगी।


                                                                                            भय के आगे विजय है - Dar Ke Aage JEET hai

 

 

 

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