Murkh magarmach aur ek lomdi ki kahani
मुर्ख मगरमच्छ और एक लोमड़ी की कहानी
एकबार एक जंगल में एक लोमड़ी और एक मगरमच्छ रहते थे। वह दोनों कहने को तो दोस्त थे लेकिन लोमड़ी मगरमच्छ का पूरा फायदा उठाता था क्योंकि मगरमच्छ थोड़ा मुर्ख था और लोमड़ी बहुत चालाक था। एकदिन दोनों ने खेती करने की सोची। दोनों ने तय किया की वे लोग आलू की खेती करेंगे। मुर्ख मगरमच्छ को लगा की आलू पौधे का फल होता है। इसलिए उसने लालच में आकर लोमड़ी से कहा - मिट्टी के निचे का हिस्सा तुम्हारा होगा और मिट्टी के ऊपर का हिस्सा मेरा। चालाक लोमड़ी मुस्कुराते हुए कहा ठीक है, तुम जैसा कह रहे हो वैसा ही होगा।
जब आलू का पौधा बड़ा हुआ, लोमड़ी सारे आलू निकाल कर ले गया। मगरमच्छ को सिर्फ आलू की डालियाँ और पत्ते मिले। मगरमच्छ को बड़ा दुःख हुआ। उसने सोचा कोई बात नहीं यह पहलीबार था इसलिए ऐसा हुआ, दूसरी बार में फायदे में रहूँगा।
दूसरी बार फिर से दोनों ने धान की खेती करने की सोची। मगरमच्छ ने मन ही मन सोचा पिछली बार में ऊपर का हिस्सा लेकर में बेवकूफ बन गया था लेकिन इसबार में नहीं ठगूंगा। इसबार फिर से उसने लोमड़ी से कहा - देखो लोमड़ी भाई, पिछली बार मेने फसल का निचली हिस्सा लिया था, इसबार तुम निचला हिस्सा लोगे और में ऊपर का हिस्सा।
लोमड़ी ने हंसते हुए कहा - ठीक है जैसी तुम्हारी इच्छा।
फसल काटने का वक्त आया, लोमड़ी सारे फसल काटकर ले गया और जब मगरमच्छ आया तो वह मिट्टी कोड़ कर देखने लगा। उसे कुछ भी नहीं मिला।
इसबार वह बहुत ज्यादा गुस्सा होकर सोचने लगा की लोमड़ी ने मुझे बहुत ठग लिया। इसबार में उसको छोड़ूंगा नहीं।
उनलोगों नें इसबार तय किया की ईख ( गन्ना ) की खेती करेंगे। इसबार मगरमच्छ ने सोचा कि गन्ने का नीचे तना वाला हिस्सा कठोर होगा जिससे उसमें ज्यादा रस नहीं होगा इसलिए में ऊपर वाला हिस्सा पत्ते के साथ लूँगा, जिसमें ज्यादा रस होगा।
दोनों गन्ने की खेती के बारे में बात करने पहुंचे। मगरमच्छ ने फिर से पहले कहा - देखो भाई ! इसबार में ईख एकदम ऊपर वाला हिस्सा लूँगा। तुम उसके नीचे का पूरा हिस्सा ले लेना। लोमड़ी ने हँसकर बोला तुम जैसा कहोगे वैसा ही होगा।
गन्ना पक कर बड़ा हो गया। मगरमच्छ सारा ऊपर का हिसा काट कर ले गया और घर जाकर जब उसे चबाना शुरू किया तो देखा उसका स्वाद बेकार और फीका था। उधर लोमड़ी मजे से गन्ने का रस का मजा ले रहा था। मगरमच्छ बेचारा उसके पास गया और कहा लोमड़ी भाई! अब में तुम्हारे साथ कभी खेती नहीं करूंगा। तुम बहुत बड़े ठग हो। हरबार में घाटे में रह गया और तुमने मुझे बताया नहीं।
लोमड़ी ने कहा - देखो मित्र, मेने तुम्हें नहीं ठगा। तुम्हारे लालच और मूर्खता ने तुम्हें ठगा है। तुमने खेती करने से पहले फसल के बारे मे अच्छे से जान लेते या मुझसे पूछते तो तुम्हारा नुकसान नहीं होता।
शिक्षा : दोस्तों मुर्ख वह नहीं होता है जिसके के पास ज्ञान नहीं होता है, मुर्ख वह होता है जो ज्ञान लेना नहीं चाहता।
अगर मगरमच्छ ने खेती करने से पहले हर फसल की खेती करने का ज्ञान लिया होता तो वह मुर्ख नहीं बनता। इसलिए मित्रों, कोई भी काम करने से पहले उसके बारे में अच्छे से जानकारी ले लेनी चाहिए।
Murkh magarmach aur ek lomdi ki kahani
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