Posts

Showing posts from June, 2025

तीरंदाज अर्जुन और समय का चक्र- arjun ka lakshya

🎯 लक्ष्य तय करने की प्रेरणादायक कहानी –  🌿 भूमिका: कहते हैं कि जीवन बिना लक्ष्य के वैसा ही है जैसे बिना पतवार की नाव। एक दिशा चाहिए, एक मंज़िल चाहिए। यह कहानी है एक साधारण लड़के अर्जुन की, जिसने भविष्य के लिए ठोस लक्ष्य तय करके अपनी किस्मत को खुद लिखा। कहानी: अर्जुन और उसका लक्ष्य गाँव के एक छोटे से स्कूल में पढ़ने वाला अर्जुन नाम का लड़का हर विषय में औसत था। न तो पढ़ाई में अव्वल, न खेल-कूद में तेज़। लेकिन उसके अंदर एक बात खास थी — उसके सपने बहुत बड़े थे । एक दिन स्कूल में शिक्षक ने पूछा – “तुम बड़े होकर क्या बनना चाहते हो?” सभी बच्चों ने कहा – डॉक्टर, इंजीनियर, क्रिकेटर… लेकिन अर्जुन चुप था। शिक्षक ने कहा – “तुम कुछ नहीं बनना चाहते?” अर्जुन ने धीमी आवाज़ में कहा – “मैं समय को मात देना चाहता हूँ।” सब हँस पड़े। लेकिन शिक्षक ने मुस्कुराते हुए पूछा – “कैसे?” अर्जुन बोला – “हर कोई कहता है कि समय नहीं रुकता। लेकिन मैं ऐसा कुछ बनना चाहता हूँ कि आने वाली पीढ़ियाँ मेरा नाम समय के साथ याद रखें। मैं वैज्ञानिक बनना चाहता हूँ और देश के लिए ऐसा आविष्कार करना चाहता हूँ जो दुनिय...

WHEN KRISHNA COMES - BHAGWAD GEETA SHLOK HINDI

Image
भगवद गीता के श्लोक ईश्वर के अवतार के बारे में  श्लोक ७ : यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजामयहम। अर्थ: हे भरतवंशी, अर्जुन जब-जब इस सृष्टि में धर्म की हानि होती है, अर्थात जब अधर्म, दुर्गण, दुराचारों की अत्यधिक वृद्धि हो जाती है तथा सद‌गुण, सदाचार और धर्मात्मा कमी होने लगती है एवं `निरपराध, निर्बल मनुष्यों पर पापी दुराचारी और बलवान मनुष्य अत्याचार करने लगते हैं। तब-तब मैं स्वयं की रचना करता हूँ और इस धरती पर अवतरित होता हूँ।  श्लोक ८ : परित्राणाय  साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम  धर्मसंस्थापनाथार्य  सम्भवामि युगे युगे   साधु मनुष्यों की रक्षा के लिए अर्थात अच्छे मनुष्यों जो सत्कर्म करते है ,जो  भगवान के भक्त है एवं जो धर्म की प्रचार करते है उनकी सद्गुणों एवं भावों की रक्षा के लिए तथा  दुष्टों के विनाश के लिए और धर्म की पुनः स्थापना के लिए मैं युग-युग में प्रकट होता हूँ। सारांश: जब धरती पर पाप और अन्याय बढ़ता है, और सज्जन लोग पीड़ित होते हैं, तब भगवान श्रीकृष्ण जैसे ईश्वर अवतार लेकर अधर्म का नाश कर...

"भाषा अलग, सोच एक — हम सभी भारतीय हैं"

  "हमारी भाषाएँ अलग हो सकती हैं, लेकिन आत्मा एक है — हम सभी भारतीय हैं।" "भाषा अलग, सोच एक — हम सभी भारतीय हैं" आज जब हम हिन्‍दी, बंगाली, मराठी, कन्‍नड़ को लेकर बहस करते हैं, तो हम भूल जाते हैं कि भारत की असली पहचान उसकी भाषा नहीं, उसके मूल्य, उसका संस्कार है। अगर तुम भाषा से भारत को बाँटना चाहते हो, तो तुम्हें इतिहास के पन्ने पलटने होंगे। क्योंकि वहाँ तुम पाओगे —   हिंदी भाषी — डॉ. भीमराव अंबेडकर, जिन्होंने भारत का संविधान लिखा, जिसकी हर लाइन कहती है: 👉 "सभी समान हैं — चाहे भाषा, धर्म, जाति कुछ भी हो।" 🔸 तमिल भाषी — डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम — जिन्होंने रॉकेट बनाए, लेकिन सपने भी दिए। 👉 उन्होंने कहा था: "महान सपने देखने वालों के सपने हमेशा पूरे होते हैं।" 🔸 बंगाली भाषी — रविंद्रनाथ ठाकुर, जिन्होंने बंगला में लिखा, लेकिन शांतिनिकेतन रचा — एक वैश्विक शिक्षा का मंदिर। 👉 उन्होंने लिखा: "जहाँ मन भय से मुक्त हो और मस्तक ऊँचा हो..." 🔸 मराठी भाषी — छत्रपति शिवाजी महाराज, जिन्होंने भारत की रक्षा के लिए युद्ध किया, लेकिन जिनका हृदय सिर्फ म...

वटवृक्ष की छांव - The banyan's tree Shadow

Image
"वटवृक्ष की छांव"  गाँव के बीचोंबीच एक पुराना वटवृक्ष खड़ा था। कहते हैं, जब गाँव बसा भी नहीं था, तब से वह पेड़ वहीं था। उसकी छांव में पीढ़ियाँ पलीं, किस्से कहानियाँ जन्मीं, और थकी ज़िंदगियाँ चैन पाती रहीं। एक बार गाँव के सरपंच ने सोचा – "इस पेड़ की जगह बाजार बना देते हैं, गाँव की तरक्की होगी।" सभी ने हामी भरी, सिवाय एक बुज़ुर्ग दादी के। दादी बोलीं – "ये पेड़ सिर्फ लकड़ी नहीं, ये तो समय का साक्षी है। हमने इसके नीचे सावन बिताए हैं, रामायण सुनी है, और बिछड़े अपनों को याद किया है। ये बाजार से नहीं बदला जा सकता।" लोगों ने उनकी बात सुनी और पेड़ को बचा लिया। आज भी उस वटवृक्ष के नीचे गाँव के बच्चे खेलते हैं, बुज़ुर्ग विश्राम करते हैं और हर साल वहाँ सामूहिक पूजा होती है। वह पेड़ अब  "गाँव का ह्रदय " बन गया है। 🌿 पेड़ सिर्फ प्रकृति नहीं, हमारी संस्कृति का हिस्सा हैं। उन्हें बचाना, खुद को बचाना है। ---               वटवृक्ष की छांव - The banyan's tree Shadow #पेड़_बचाओ #प्रकृति_से_प्यार #GreenIndia #TreeStory