सही अर्थ

सही अर्थ 

एक गांव में प्रताप नाम का एक लड़का रहता था। वह  (wrestler)पहलवान बनना चाहता था। और इसके लिए वो शहर जाकर किसी अच्छे से coach  से ट्रेनिंग लेना चाहता था। लेकिन उसका  पिता बहुत गरीब था ,वह दिन भर खेतो में काम करता था , इसलिए वह चाहता था कि प्रताप उसके  साथ खेतों में काम  करे। प्रताप का परिवार में उसके माता-पिता और दादाजी थे। प्रताप हमेशा अपने  पिताजी से  रूठा रूठा रहता था क्योंकि  जब भी वो कुछ अच्छा काम करता तो पिताजी उसे कहते की तुम एक चिटीं के बराबर हो तुम्हारे अन्दर चीटीं जैसी ताकत हे वो गुस्सा हो जाता और कहता ये क्या पिताजी आप मुझे आशीर्वाद न देकर इतना छोटा कह  रहे हैं । प्रताप का  स्कूल का रिजल्ट आने वाला था। उसने सोचा की रिजल्ट अगर अच्छा हुआ तो पिताजी खुश हो जायेंगे और वह उस समय एक बार पहलवानी के  लिए पूछेगा शायद पिताजी  मान जाये। रिजल्ट का दिन आया प्रताप ने अच्छा नंबर  लाया घर में सब खुश थे। उसने पिताजी को रिजल्ट दिखाया पिताजी ने उससे  हँसते हुए फिर से वही बात कही वाह बेटे तुझमे सच में चीटीं जैसी ताकत है। प्रताप गुस्से को टालते हुए कहा पिताजी  में अब आगे नहीं पढ़ना चाहता मुझे पहलवानी सीखना है। पिताजी ने कहा बेटे तुमने इतना अच्छा नंबर लाया हे तो आगे की पढ़ाई क्यों नहीं करते। उसके माँ ने भी समझााय लेकिन वो नहीं माना जिद करने लगा। दादाजी ये सब गौर से देख रहे थे और वह प्रताप के जूनून को समझ रहे थे। और उसके पिता से कहा ठीक हे जब ये नहीं मान रहा तो बेटे इसे शहर भेज ही दो मेरे जमा किये हुए कुछ पैसे है में दे देता हूँ। प्रताप के  पिताजी मान गए उन्हें भी लगा कि यह वाकई में पहलवान बनना चाहता है और उसे शहर भेज दिया जाते-जाते फिर से कहा, जाओ बेटे तुम्हे चीटीं जैसी शक्ति मिले।
प्रताप गुस्से से आग बबूला होते हुए कहा अब तो पहलवान बन कर ही घर वापस आऊंगा और आपको मेरा ताकत दिखाऊंगा। वह  शहर आया वहां उसने एक कोचिंग ज्वाइन की और काफी मेहनत की और धीरे-धीरे  वह बहुत से खेल प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और कई बार असफल हुआ और कई बार जीता भी बहुत सारे मैडल भी जीता। और इसबार उसका नाम भारत के  तरफ से अंतर्राष्ट्रीय लेवल पहलवानी प्रतियोगिता के लिए चुना गया। और वह बहुत खुश हुआ। वो खेल देखने उसके माता-पिता और दादाजी भी आये थे। प्रतियोगिता शुरू होने से पहले प्रताप अपने कोच से बात कर रहा था। तभी उसके पिताजी और दादाजी  वहां आये और कहा बेटे ये खेल तुम्हीं जीतोगे तुम्हारे अंदर चींटी जैसी ताकत है।  प्रताप जोर से चिल्लाया और कहा पिताजी आज  के दिन तो हिम्मत दीजिये।  कोच ने उसे शांत करते हुए कहा ठीक ही तो कह रहे है तुम्हारे पिताजी दादाजी ने रोकते हुए कहा में समझाता हूँ। देखो बेटे एक चीटीं अपने  वजन के  १०० गुना ज्यादा भार उठा सकती है वो हमेशा मेहनत करते  रहती हे और  वो ऊँची-ऊँची पहाड़ो पर भी चढ़ जाती है सोचो तुम्हे भी अपने शरीर क अनुसार १०० गुना ज्यादा ताकत मिले तो तुम क्या-क्या कर सकते हो। प्रताप अब बात को  समझा और पिताजी को गले लगाकर माफी मांगी। और पहलवानी करने जाने लगा उसमे अब और ज्यादा जोश भरा हुआ था। वह बड़ा बहादुरी से लड़ा और ये खेल उसी ने जीता।

शिक्षा : मित्र, हमारे मां-बाप जो कुछ भी बोलते हैं वो हमारे भले के लिए ही बोलते हैं। हमे उनके बातों को ध्यान से समझना चाहिए। आप का अगर कोई लक्ष्य है तो अपने मां-बाप को सही तरीके से समझाने की कोशिश करे वो जरूर समझेगे। 

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