ADHURA GYAN KHATARNAK HOTA HAI

ADHURA GYAN KHATARNAK HOTA HAI by motivation quote and story in hindi

ADHURA GYAN KHATARNAK HOTA HAI 

प्राचीन काल की बात है, एक गाँव में 3 मित्र रहते थे। एक का नाम मोहन दूसरे का नाम गोपाल और तीसरे का नाम रघु था। उनमे से रघु थोड़ा मुर्ख था, इसलिए  गोपाल और मोहन उसका हमेशा मजाक उड़ाते थे। लेकिन वो लोग साथ पले बढ़े थे इसलिए साथ-साथ ही रहा करते थे।
 एक दिन वो तीनो लकड़ियां लाने जंगल जा रहे थे। वे लोग लकड़ियां बटोर रहे थे। तभी उन्हें एक आवाज़ सुनाई पड़ी और वो आवाज़ का पीछा करते करते एक जगह पहुचे जहां उन्होने एक साधु को किसी घायल मोर को मंत्र शक्ति से पल भर मे ठीक करते हुए देखा। वो लोग आश्चर्यचकित रह गए ये सब देखकर। वे लोग आपस में बात करने लगे चलो साधु जी से ये मंत्र विद्या सीखते है। वे लोग  साधु के पास गए और उन्होंने कहा गुरूजी आपने अभी जो किया, हमलोगो वह सब देख रहे थे। हमें भी यह विद्या सीखा दीजिये। हमें अपना शिष्य बना लीजिये। साधु ने कहा - नहीं में तुम्हें ये नहीं सीखा सकता, तुम्हे इसकी आवशयकता नहीं हैं। और न ही ये मंत्र सभी लोगो के लिए है इसे हर कोई सिख नहीं सकता। तीनो मित्र ज़िद करने लगे पर फिर भी गुरूजी नहीं माने। अंत में वह तीनो दुखी मन से वहां से चला गया।

 अगले दिन वे फिर आये और कहने लगे गुरूजी हमलोगो को ये मंत्र  सीखा दीजिये आप जैसा कहेंगे हम वैसा ही करेंगे। गुरूजी ने सोचा ये सिखने के लिए जब इतने उत्सुक है और ज़िद कर रहे हैं तो चलो सीखा देते है, लेकिन ये इनका गलत प्रयोग न करे, इसलिए पहले इनसे प्रतिज्ञा लेता हूँ।
साधु ने कहा - ठीक है, में तुम्हे सिखाऊंगा लेकिन मुझसे प्रतिज्ञा करनी होगी।
युवको ने कहा - कैसी प्रतिज्ञा गुरूजी ?
साधु ने कहा - तुमलोगो को मुझे ३ वचन देना होगा।
१. तुम ये सिखने के बाद इन मंत्रो का गलत प्रयोग नहीं करोगे।
२. जब तक तुम्हें  इस मंत्र का संपूर्ण ज्ञान न हो जाये तुम इस मंत्र का प्रयोग नहीं करोगे।
३. और  इस मंत्र का प्रयोग सिर्फ लोगो के भले के लिए करोगे।

युवको ने कहा - ठीक है  गुरूजी हम  प्रतिज्ञा करते है। हम इनका सही प्रयोग करेंगे और आपने जो कहा हम इसका ध्यान  रखेंगे। गुरूजी ने उन्हें मंत्रो का ज्ञान देना शुरु कर दिया। इस तरह कुछ दिन तक वे लोग सुबह जाते मंत्र विद्या सीखते और शाम को घर आते। एक दिन शाम को घर लौटते वक़्त मोहन ने एक कंकाल देखा। उसने गोपाल से कहा, गोपाल वह देखो वहां एक कंकाल पड़ा है। चलो उस जानवर को जीवित करते है, तभी
india motivation quote and storyरघु ने कहा नहीं नहीं गुरूजी ने  कहा था, जब तक सम्पूर्ण विद्या प्राप्त न हो तब तक मंत्र का प्रयोग न करे। मोहन ने कहा चुप कर मंदबुद्धि हमलोग इतने दिन से सिख रहे हे क्या और भी सीखना जरुरी है। रघु ने कहा हाँ अभी सीखना बाकि है। गोपाल ने कहा छोड़ो इसकी बात को चलो में इसके कंकाल में मंत्र विद्या से मांस डालता हूँ। गोपाल ने मंत्र पढ़ना शुरू किया और कुछ ही देर में उसने उस कंकाल में मांस भर दिया वह कंकाल एक शेर का था। रघु ने कहा तुमलोग यंही रुक जाओ और कुछ  मत करो। मोहन ने कहा अरे तुम तो मुर्ख हो तुम्हे क्या पता में इस शेर को जीवित करूँगा और इसे अपना गुलाम बनाऊंगा तथा सबको अपनी ताकत दिखाऊंगा। रघु ने कहा - अपने प्राण बचाना अगर मूर्खता है। तो में मुर्ख ही सही मुझे यहाँ से जाने दो फिर तुमको जो करना है करो। रघु वहाँ से चला गया और वो दोनों मिलकर शेर को मंत्र से जीवित कर दिया। गोपाल ने शेर से कहा मेने तुम्हे बचाया है तुम मेरे गुलाम हो। शेर जीवित होने के बाद भूखा था और सामने उन्होंने दोनों लड़को को देखकर उसपर झपट पड़ा। वो दोनों  भागने लगा और तभी रघु और गुरजी वहां आयें। उन्होंने वापस शेर को मंत्र से कंकाल बना दिया। गुरूजी ने कहा मेने तुम्हें मना किया था न जब तक संपूर्ण ज्ञान न हो मंत्र का प्रयोग मत करना। रघु सही समय पर मेरे पास आया नहीं होता तो आज तुमलोग बड़ी  मुसीबत में पड़ जाते।
मोहन और गोपाल ने गुरूजी से क्षमा मांगी। रघु को धन्यवाद किया और कहा मुर्ख तुम नहीं हो रघु मुर्ख हमलोग है। रघु और उन दोनों में अब गहरी मित्रता हो गयी थी।

शिक्षा : मित्र यह कहानी काल्पनिक है लेकिन इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की कभी भी अधूरा ज्ञान का प्रयोग नहीं करना चाहिए और जब तक पूरा ज्ञान न हो जाये उसे बाटना नहीं  चाहिए। तथा मुसीबत में यदि कोई  मुर्ख व्यक्ति ज्ञान दे तो अवश्य उसपर एकबार विचार करना चाहिये। 


आगे पढ़े। ...https://www.indiamotivation.com/2019/07/biography-of-michael-faraday.html

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