Kabutar ki hosiyari

Kabutar ki hosiyari, कबूतर की होशियारी

कबूतर की होशियारी


एक जंगल में एक बहुत बड़े पेड़ पर कबूतरों का एक झुंड रहता था। हर सुबह कबूतरों का झुण्ड दाना चुगने निकलते थे और शाम होते ही अपने पेड़ पर वापस आ जाते थे। उनके झुण्ड में एक बूढ़ा कबूतर भी था, जो उस झुण्ड को हमेशा सही सलाह देता और अपने अनुभव से, उन्हें हर खतरे से बचाता। एकदिन कबूतरों का झुंड दाना खोजते - खोजते बहुत दूर निकल आये, पर उन्हें कहीं भी दाना नहीं मिला। कुछ देर और आगे जाने के बाद उन्होंने देखा की किसानों के खेतो के पास बहुत सारे दाने बिखरे हुए है। सभी कबूतर दाना खाने जाने ही वाले थे की तभी बूढ़े कबूतर ने कहा - ठहरो खेतो के किनारे एकसाथ इतने सारे दाने यूँही गिरा है, जरूर कुछ गड़बड़ है, थोड़ा रुको ! अच्छे से देखलो पहले।
झुण्ड में से कुछ कबूतरों ने कहा - चाचा! आप अब बूढ़े हो गए हो, आपकी बुद्धि काम नहीं कर रही है। हम सुबह से भूखे है और आपको गड़बड़ लग रही है। किसान यह दाना ले जाने भूल गए होंगे, इससे पहले की वह वापस आ जाये, चलो! सब दाने चुग लेते है।


बूढ़े कबूतर की बात किसी ने नहीं सुनी और सभी दाना चुगने निचे गये। जैसे ही सब दाना चुगने लगे उनके पैर किसी चीज में फंस गए। सब कहने लगे, अरे यह क्या हो रहा है ?
बूढ़े कबूतर ने देखा, एक व्यक्ति दूर से उनकी तरफ आ रहा है। वह समझ गया की शिकारी ने दानों के निचे जाल रखकर उसे धूल से ढक दिया था, इसलिए कबूतर उनके जाल में फंस गया। उसने कबूतरों से कहा, देखो यह सब शिकारी की चाल थी तुम्हें जाल में फंसाने के लिए और वह शिकारी इधर आ रहा है। 
सभी कबूतर चिल्लाने लगे हमसे गलती हो गयी, हमने आपकी बात नहीं मानी। भूख के कारण हम अपनी बुद्धि खो बैठे थे। हमें शिकारी से बचा लीजिये।

बूढ़े कबूतर ने कहा चिंता मत करो में एक उपाय बताता हूँ, वैसा करो। सब अपने पैरों से जाल को पकड़ लो अच्छा से और एक साथ उड़ो। तुम सब की ताकत एक होकर बढ़ जाएगी और जाल को भी तुम उड़ा ले जाओगे। 
जैसे ही शिकारी नजदीक आया सबने वैसा ही किया और जाल भी उनके साथ उड़ने लगा। शिकारी आश्चर्य में पड़ गया यह क्या हो रहा हो ? कबूतरों ने तो जाल को भी उड़ा लिया। शिकारी उनके पीछे दौड़ने लगा लेकिन कबूतर जंगल की तरफ शिकारी की नजरो से दूर चला गया। 

सभी कबूतरों ने बूढ़े कबूतर से पूछा, हम शिकारी से बच तो गए लेकिन इस जाल से कैसे छुटकारा पाएंगे ? 
बूढ़े कबूतर ने कहा - दूर वह जो पहाड़ दिख रहा है ना वहां चलो वहाँ हमारा एक मित्र चूहा रहता है। वह हमारी मदद जरूर करेगा। सभी उस पहाड़ पर पहुंचे तथा उसके बिल के बाहर खड़े होकर आवाज लगाई। मुसक मित्र ओ मुसक मित्र बाहर आओ। चूहा बाहर आया और कहा अरे मित्र बहुत दिनों बाद आज हमारे यहाँ आये हो सब कुशल मंगल तो है न ! बूढ़े कबूतर ने पूरी बात बताया और कहा, अब तुम ही हमारी सहायता कर सकते हो। चूहे ने कहा जरूर मित्र हम तुम्हारी पूरी सहायता करेंगे और अपने सभी चूहे साथियों को बुलाकर उनके जाल को दांतो से कुतर कर उन्हें आजादी दिलाई। सभी कबूतरों ने उनका धन्यवाद किया और कहा हम आपके एहसानमंद रहेंगे।
चूहे ने कहा - नहीं, यह तो सब आपके बूढ़े कबूतर की होशियारी कमाल है। 

शिक्षा : दोस्तों इस कहानी से हमें दो शिक्षा मिलती है। पहली यह की, अगर हमारे बड़े कुछ सलाह देते है तो उस बात पर एकबार गौर जरूर करना चाहिए क्योंकि उनका अनुभव हमसे ज्यादा है। दूसरी यह की, अगर हम कोई काम मिलकर करते है तो वह सहज हो जाती है क्योंकि एकता में बल होती है।  

Kabutar ki hosiyari

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