Motivation quote and Story in Hindi

Aalsi Chidiya (आलसी चिड़िया)

Aalsi Chidiya  ki kahani
एक बार की बात है, प्राचीन काल में एक राज्य में, एक राजा राज करता था। राजा के बगीचे में एक बड़ा पेड़ था।
उस पेड़ पर दो चिड़िया रहती थी। राजा सुबह और शाम को अपने बगीचे में टहलने जाता था। कुछ दिन बाद राजा ने देखा चिड़ियों का घोसला निचे गिरा हुआ है। नजदीक जाकर देखा घोंसले के अंदर अंडे थे जिसमे से एक अंडा फुट गया है उसमे चार अंडे थे और उसमे से एक चिड़ियाँ का बच्चा बाहर आ गया है और वह बिल्कुल ठीक है। राजा ने सिपाहियों से कहकर  घोसलों को वापस पेड़ पर रखवा दिया।
कुछ दिनों बाद अंडो से बाकि ३ बच्चे भी बाहर निकल आये। उन बच्चों की माँ उन्हें दाना और कीड़े मकोड़े लाकर खिलाती थी और कुछ दिन बाद वह बच्चे बड़े हो गए और अब उनका समय उड़ान भरने की आयी।
अगली सुबह चिड़ियों के बच्चे अपने पंख फड़फड़ाते हुए उड़ने की कोशिश करने लगे। वे थोड़ी दूर उड़ते और फिर  वापस आ जाते। ये दृश्य राजा देख रहा था, उनमें से पहली चिड़िया शांत बैठी हुई बाकि चिड़ियों को उड़ते हुई  देख रही थी, वह स्वयं उड़ने की कोशिश नहीं कर रही थी। इन चिड़ियों के माँ और पिता उसके पास जाकर चोंच से धक्का देकर उसे उड़ाने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन वह उड़ती नहीं थोड़ा सा खिसक कर वहीं बैठ जाती।
अगले दिन सभी चिड़ियाँ भोजन के लिए चले गयी। लेकिन वह तब भी वहीँ बैठी रह गयी। राजा ने देखा की चिड़िया अकेले बैठी हुई है। राजा को आश्चर्य हुआ की यह पक्षी उड़ क्यों नहीं रही, ऐसे कब तक इसकी माँ इसे दाना खिलाएगी। राजा ने सिपाहियों से कहा "जाओ पेड़ पर चढ़के उसे उड़ाओ "। एक सिपाही पेड़ पर जाकर उसे उड़ाने की कोशिश करने लगा लेकिन वह चिड़िया एक डाल से दूसरे डाल पर भाग जाती लेकिन वह पेड़ छोड़कर नहीं जाती। राजा ने सिपाही को निचे उतरने को कहा और आदेश दिया "जाओ नगर में जाकर सब को सूचित कर दो जो भी इस पक्षी को बिना नुकसान पहुंचाए इस पेड़ से उड़ाएगा, उसे पुरस्कार दिया जायेगा "। सैनिक ने  पुरे नगर में जाकर सबको सूचित किया ।

अगले दिन बाकि चिड़ियाँ फिर भोजन जुटाने के लिए निकली और वह चिड़िया वहीं बैठी रही। कुछ देर बाद राजा के बगीचे में भीड़ जमा हो गयी। सब लोग तैयार थे। एक एक करके सभी ने उसे उड़ाने की कोशिश की।
 कोई पेड़ के डाली को हिलाता तो कोई उसे पकड़ कर हवा में छोड़ देता लेकिन वह वापस पेड़ पर आके बैठ जाती। अंत में सब हारकर चले जाते है और राजा भी महल चला जाता है।
 शाम को एक आदमी महल में आता है राजा से मिलने। वह कहता है - महाराज ! मैनें सुना है की किसी पक्षी को उड़ाने पर आप पुरस्कार देने के एलान किये है राजा कहा हाँ लेकिन किसी ने नहीं उड़ा सका अब तुम क्या कर लोगे।
उस आदमी ने कहा महाराज में बाहर गया हुआ था, मुझे खबर कुछ देर पहले मिली नहीं तो में सुबह ही इस काम को निपटा लेता। उस आदमी ने कहा चिंता मत कीजिये ये सुबह अपने साथियों के साथ उड़कर जाएगी में सुबह इसे उड़ा दूंगा में आज रात यहीं रुकता हूँ।
Aalsi Chidiya  ki kahani
सुबह होते ही वह आदमी राजा के पास दौड़कर गया और उन्हें जगाया और उन्हें कहा महाराज जल्दी बाहर आये वह देखिये बाकि चिड़ियों के साथ वह पहली चिड़याँ भी उड़के जा रही है। राजा खुश हो गया लेकिन जब पेड़ की तरफ देखा तो पेड़ की डालियाँ कटा हुआ था राजा ने पूछा तुमने बिना आज्ञा लिए उस पेड़ की डालियाँ काट दी ? उस आदमी ने कहा महराज उस चिडियाँ को उड़ाने  लिए पेड़ की सभी डालियाँ  काटना जरुरी था क्योंकि वह चिड़ियाँ अपनी आराम दायक स्थिति में ही रहना चाहती थी, वह उड़ना नहीं चाहती थी,  दाना इकट्ठा करना नहीं चाहती थी क्योंकि उसे  पेड़ पर ही बैठे-बैठे सब मिल रहा था। उसकी माँ उसे दाना देती और वह सिर्फ बैठी रहती। जब मेने पेड़ की डालियाँ काट दी, तब उसके पास उड़ने के सिवा अब कोई रास्ता न बचा। और वह उड़कर चली गयी अब वह जिंदगी के तकलीफ और खुशी को अनुभव कर पायेगी। राजा ने उस की सोच की तारीफ की और उसे पुरूस्कृत कर घर भेज दिया।

शिक्षा : दोस्तों हमारे जीवन में भी ऐसा कई बार होता है हम अपने आप को  आराम दायक स्थिति में ही रखते है। जब तक हमारे पर संकट नहीं आ जाती तब तक नया कुछ करने की सोचते नहीं और कुछ लोग नया करने की सोचते तो है, लेकिन वह इतना आलसी  हो जाता है की वह तुरंत धीरज खो देता है और मेहनत छोड़ वापस आराम करने लगता है। दोस्तों इसलिए इससे पहले की संकट आये आराम छोड़िये और मेहनत कीजिये उस चिड़ियाँ की तरह डाली  कटने का इंतजार न करे उससे पहले उड़ना सिख जाये और जीवन में आने वाले चुनौतियों और समस्या के लिए तैयार रहिये। 

Aalsi Chidiya (आलसी चिड़िया)



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