Karoly Takacs - The best pistol shooter

HELLO  दोस्तों आज में आपको ऐसी कहानी बताने  जा रहा हूँ। जिसे सुनने के बाद अगर आप अपने जीवन में कुछ करना चाहते है, तो आप बहाने बनाना छोड़ देंगे। और यकीनन इस कहानी को पढ़ने के बाद, आप अपने काम में लग जायेंगे।

Karoly Takacs - The best pistol shooter

कैरली टेकक्स अपने देश Hungary का सबसे अच्छा पिस्तौल शूटर था। वह सेना में काम करता था। हंगरी में  जितने भी राष्ट्रीय चैम्पियनशिप हुआ था , वह सब कैरली के नाम था। अब वह अपने हाथ को विश्व का सबसे अच्छा पिस्टल शूटर हाथ बनाना चाहता था। लेकिन एक दिन एक दुर्घटना हो गयी। वह जिस हाथ(दायाँ) से शूट करता था, उसी हाथ में ग्रेनेड फट गया। एक महीने से वह हॉस्पिटल में था। जब वह अस्पताल से घर आया, तब वह हारा हुआ मेहसूस कर रहा था, अब उसके पास दो रास्ते थे, की वह सबकुछ छोड़ के कहीं चले जाये और सपने को भूल जाय या फिर अपने सपने को पकड़ कर रखे। उसने दूसरा रास्ता चुना। उसने जो चला गया उसपर से ध्यान हटाकर, जो हे उसके पास (बायाँ हाथ), उसपर ध्यान दिया। ठीक होने के एक महीने बाद ही उसने प्रैक्टिस  शुरू कर दिया। उस हाथ से जिस हाथ से वह ठीक से लिख नहीं सकता था। यह घटना १९३८ में घटी थी। एक साल तक जी जान लगाके प्रैक्टिस करने के बाद यानि  १९३९ में वह वहां गया जहाँ नेशनल चैंपियनशिप हो रही थी। उसको  देखकर सब पिस्टल शूटर हैरान हो गए और कहने लगे, इतना कुछ होने के बाद भी आप हमें यहाँ देखने आये हैं, हमें होंशला देने। कैरली ने कहा में यहाँ तुम्हारा कॉम्पीटीशन देखने नहीं तुम्हारा कॉम्पिटिटर बनके आया हूँ।

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प्रतियोगिता शुरू होती है , सब अपने अच्छे हाथ से शूट करने वाला था और ये अपने सिर्फ बाएं हाथ से।
और यहाँ पर कैरली ही जीता।
उसके बाद वह यहीं तक नहीं रुके। वह १९४० की ओलिंपिक की तैयारी करने लगे। क्योंकि वह अपने हाथ को सिर्फ इस देश का नहीं पुरे दुनिया का सबसे अच्छा शूटर हाथ बनाना चाहता था।
१९४० जब आया, तब विश्व युद्ध के कारन ओलिंपिक रद्द हो गया। लेकिन वह फिर से प्रैक्टिस पर लग गया और १९४४ की ओलिंपिक की तैयारी करने लगा। और जब १९४४ आया तब फिर से ओलिंपिक रद्द कर दिया गया, विश्वयुद्ध के कारन। और फिर भी इसने हिम्मत नहीं छोड़ी। और १९४८ की तैयारी में लग गया। १९३९ में कैरली का उम्र २९ साल था और १९४८ में वह  ३८ साल का हो गया था और अब इनका सामना सब यंग कॉम्पिटिटर से होने वाला था। लेकिन इसके डिक्शनरी में मुश्किल नाम की कोई  शब्द नहीं थी। और इसने यह कम्पटीशन जित लिया।

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लेकिन यह यहाँ भी नहीं रुका, १९५२ की ओलम्पिक में भी हिस्सा लिया जहाँ पर पूरी दुनिया के अच्छे पिस्टल शूटर आये हुए थे वहां भी गोल्ड मैडल कैरली ने ही जीता। और पुरे इतिहास को उसने बदल के रख दिया था क्योंकि उस समय किसी ने भी २ बार लगातर गोल्ड मैडल नहीं जीता था।

शिक्षा : दोस्तों आपके जीवन कितनी भी बुरी परिस्थति आ जाये आप उससे ऊपर उठ सकते है। बस थोड़ी सी हिम्मत और डंटे रहने की जिद चाहिए होता है। अगर आप सच्चे मन से ठान ले की कुछ करना है तो आप कर जायेंगे।  यही फर्क होता है, हारने वाले और जितने वाले में। हारने वाले आपको १०० बहाने बताएँगे की में इस वजह से फैल हुआ और जितने वाला एक ही वजह बताएगा की में इस वजह से करना चाहता हूँ और वो जित लेगा। 

Karoly Takacs - The best pistol shooter (कैरली टेकक्स - सबसे अच्छा पिस्टल शूटर )

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