BURI SANGATI KA PRABHAW (बुरी संगती का प्रभाव)

BURI SANGATI KA PRABHAW  (बुरी संगती का प्रभाव)एक गांव में दो मित्र रहते थे, राम और श्याम। दोनों मित्र पढ़ने लिखने में बहुत अच्छे थे उन दोनों का नाम पुरे गांव में प्रसिद्ध था,  वे दोनों साथ-साथ खेलते थे और साथ स्कुल जाते थे। एक दिन श्याम स्कुल से अकेले घर आ रहा था क्योंकि उस दिन राम  स्कूल नहीं गया था, रास्ते  में कुछ लड़के ताश खेल रहे थे। श्याम देखने चला गया  की वे लोग  क्या कर रहे है। उसने देखा की उनमे से एक लड़का कुछ देर बाद वहां से बहुत सारे पैसे लेके चला गया। श्याम ने पूछा भाई ये कोनसा खेल हे, जिसमे पैसे मिलते है  ? उसमे से एक लड़के ने कहा भाई ये खेल खेलके तुम बहुत पैसे कमा सकते हो तुम भी खेलोगे तो कल से पैसे लेके आना। श्याम खुश होकर वहां से चला गया। 


अगले दिन स्कुल जाते वक्त राम से मिला और उससे कहा मित्र वहां देखो कुछ लड़के पैसे का खेल, खेल रहे है। राम ने कहा- माँ कहती है , वो लोग गंदे लड़के है , उनके साथ कभी मत जाना वो लोग शराब ,बीड़ी और जुआ खेलते है।  लेकिन श्याम को पैसे का लालच आ गया था।  स्कूल छुट्टी होते ही श्याम  उनलोगो के साथ चला गया और पहले दिन उसने कुछ पैसे जीतकर अपने लिए खिलोने खरीद कर ले गया। माँ ने पूछा तुम्हें खिलोनें किसने दिया, श्याम ने कहा उसके एक मित्र ने दिया। उसके बाद से श्याम का व्यवहार बदल गया हमेशा स्कूल से देर से घर आता और किसी की बात न सुनता। एक दिन श्याम घर से पैसे चोरी कर रहा था और उसके माँ ने देख लिया। माँ ने पूछा - पैसे क्यों निकाल रहे हो तुम? चोरी कर रहे हो ?  तभी राम वहां पर आया और कहने लगा श्याम स्कूल क्यों नहीं जा रहे हो तुम ?  माँ ने आश्चर्य से देखा और कहा -  तुम स्कूल नहीं जाते हो,  तो कहाँ रहते हो ? आनेदो तुम्हारे पिताजी को वो तुम्हारा खबर लेंगे। राम को सारी बात समझ में आ गया। उसने सारी बात श्याम की  माँ से कह दिया और वो चला गया।

शाम को जब पिताजी घर आये तो उसकी माँ ने सब बात बतायी। उसके पिताजी ने समझाने का दूसरा रास्ता निकला। उन्होंने श्याम को दुकान से आलू लाने भेजा और उसे टोकरी में रखने को कहा। उसके पिताजी ने उस टोकरी में एक सड़ा आलू रख दिया था।  सुबह पिताजी ने श्याम को टोकरी से आलू लाने को कहा। 
जब श्याम आलू लेन गया तो देखा की कुछ आलू सड़ गए है। यह देखकर वो आश्चर्यचकित रह गया और पिताजी से पूछा पिताजी, उसमे से कुछ आलू सड़ गए है लेकिन मेने तो उसमे कल अच्छे आलू रखे थे। पिताजी ने कहा पुत्र - मेने कल उसमे एक सड़ा आलू रख दिया था, तो वह आलू सड़ने लग गए। देखो पुत्र,  उसी प्रकार तुम जब राम के साथ थे तो तुम पढ़ते लिखते थे और तुम्हें सब पसंद करते थे। लेकिन जब से तुमने उन बुरे लड़को के साथ जाना शुरु किया,  उनके गंदे कामो को तुम सिख गए और तुम्हारा व्यवहार भी खराब हो गया। इसलिए अच्छी संगती में रहो और उनके अच्छे गुणों को अपनाओं। श्याम को बात समझ में आ गयी और उसने पिताजी से क्षमा मांगी और तब से वो उनलोगों का साथ छोड़ दिया।

शिक्षा  :  हमें सदा अच्छे संगती और महान लोगो की संगती में रहना चाहिए। हमें उनके जैसे गुण अपने अंदर लाने चाहिए,  तभी हम एक सफल और महान  इंसान बन सकते हैं। 

BURI SANGATI KA PRABHAW  (बुरी संगती का प्रभाव)

Comments

  1. Bhai aaj ke date m sala aisa lig milte kha hai jisko flow. Kr ske...

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    1. He bhai bahut he or nahi mile to khud iska example ban jao ki sab tumhe follow kare

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