KYON BLOGGER KE LIYE DOMAIN NAHI KHARIDNA CHAHIYE -Blogger पर Domain खरीदना सबसे बड़ी गलती
🚫 Blogger पर शुरुआत में Domain खरीदना सबसे बड़ी गलती होती है — क्यों? पूरा सच जानें!
आज के समय में हर नया Blogger एक ही गलती करता है —
Adsense जल्दी मिलेगा इस सोच में आकर शुरुआत में ही डोमेन खरीद लेता है।
लेकिन हकीकत ये है कि ये जल्दीबाज़ी आगे चलकर बड़ी प्रॉब्लम बन जाती है।
⚠️ 1. शुरुआत में Domain लेने से Ranking का बड़ा Issue आता है
नया-नया Blogger डोमेन लेकर सोचता है कि अब ब्लॉग जल्दी रैंक करेगा…
लेकिन Google किसी भी नए domain को trust नहीं करता, इसलिए:
- आपकी posts रैंक नहीं होती
- Traffic नहीं आता
- Google indexing में भी समय लगता है
- SEO भी कमजोर पड़ जाता है
मतलब Adsense के लिए डोमेन लिया… लेकिन Adsense तो बाद में भी नहीं मिलेगा क्योंकि traffic ही नहीं आएगा।
⚠️ 2. हर साल Renewal Charges देने पड़ते हैं
Domain लेने के बाद आपका एक नया खर्च शुरू हो जाता है:
- हर साल renewal
- कुछ डोमेन के add-on charges
- privacy protection charges
और अगर आप blogging में टिक नहीं पाए…
तो ये सारे पैसे सीधे बर्बाद।
⚠️ 3. ज़्यादातर नए Blogger बीच में हार मान लेते हैं
ये सच है —
शुरुआत में लोग बहुत उत्साह से डोमेन ले लेते हैं, लेकिन:
- Content regular नहीं बना पाते
- SEO सीख नहीं पाते
- Traffic नहीं आता
- Motivation गिर जाती है
और 2–3 महीने बाद वो ब्लॉग छोड़ देते हैं।
इसका मतलब — डोमेन पर लगाया पैसा एक तरह से पानी में फेंका हुआ।
⚠️ 4. Blogging पहले सीखनी होती है, फिर कमानी होती है
शुरुआत में domain सिर्फ बोझ बनता है, क्योंकि:
- न आपको keywords का knowledge होता है
- न SEO आता है
- न niche decide होता है
- न writing style perfect होता है
और ऐसे में domain लेकर blogging करने से सिर्फ frustration मिलता है।
✔️ तो फिर क्या करें? समाधान यही है 👇
👉 1. पहले Blogger का free subdomain इस्तेमाल करें (yourblog.blogspot.com)
शुरुआती practice के लिए ये perfect है।
👉 2. Writing skills मजबूत करें
कम से कम 20–25 informative articles लिखें।
👉 3. SEO, keywords, title-writing समझें
Search engine के लिए content कैसे optimize होता है, ये सीखें।
👉 4. कुछ traffic आने लगे, niche clear हो जाए
तब जाकर domain लें — तभी वो investment कहलाएगा।
📌 याद रखो आप सभी
“Blogging एक सीढ़ी है, शॉर्टकट नहीं।
जो धीरे-धीरे चढ़ता है वही ऊपर पहुंचता है।”
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