रख हौसला - rakh hosla


रख हौसला - rakh hosla


रख हौसला, बूंद बूंद से ही सागर भरता है
तेरे दिन भी बदल जायेंगे
आज के सारे संघर्ष
तुम्हारे भीतर कल आग बन जायेंगे
तुम्हारे जीवन को एक खूबसूरत रूप में, संवार देंगे ।
बहुत दूर की न सोच, अड़चनों के पहाड़ को न देख
कैसे तू ये मुश्किल सफर तय करेगा
इसकी भी चिंता न कर, खुद पर भरोसा रख
कर्म जो तेरे दिल को भाता है, उसे इतनी शिद्दत से कर
की वो तेरी पूजा बन जाए
वही तेरे रोते पलों में, तुझे हसाए
वही तेरे अकेलेपन में, दोस्त बन कर, तेरा साथ निभाए
उसी कर्म में, तुझे प्रेम का, एहसास मिले।
समझ लो वह कर्म, तुम्हारे जीवन के संगीत बन जाए ,
जिसे गाओ तो सुकून मिले, जब न गाओ तो
हर वक्त, दिल बेचैन सा लगे
समझो, उस कर्म के संगीत में, डूबते ही
तुम्हे तुम्हारे जीवन के, सारे दुख का, विस्मर्ण हो जाए ।
फिर देखना, वो समय भी आएगा
तुम्हारे जीवन में, सबको एक धुन सुनाई देगी
पूरी दुनिया तुम्हे सुनने को तरसेगी
तुम्हे ऊंचे सम्मान से नवाजेगी
तुम्हारे जीवन में, आनंद की बारिश होगी। 

रख हौसला, बूंद बूंद से ही सागर भरता है
तेरे दिन भी बदल जायेंगे
आज के सारे संघर्ष, तुम्हारे भीतर कल आग बन जायेंगे
तुम्हारे जीवन को एक खूबसूरत रूप में, संवार देंगे।

कवि - कुमुद किशोर 

रख हौसला - Rakh hosla



कुमुद किशोर जी के द्वारा और भी प्रेरणादायक कविताएं पढ़ने के लिए अपने घर पर यह पुस्तक मंगाये 

सत्य प्रेम ईश्वर


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